हम आपको बता दें की महाविद्यालय के छात्रों द्वारा बाहरी और महाविद्यालय के ही नशेड़ी प्रवृत्ति के छात्रों एवं उनसे हो रही समस्याओं का जिक्र करते हुए निम्न मांगे की हैं-…
- जो व्यक्ति महाविद्यालय परिसर से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं रखता वह महाविद्यालय परिसर में कैसे प्रवेश कर सकता है एवं उसके प्रवेश पर रोक क्यों नहीं है??
- क्या बाहरी नेताओं का समर्थन पाकर उनके संरक्षण में महाविद्यालय का कोई भी छात्र गुटखा सिगरेट एवं गांजा का सेवन कर अपने आप को शहंशाह या फिर राजनेता समझ कर महाविद्यालय के नियमों को तोड़ सकता है??
- क्या अपने अनैतिक वर्चस्व से महाविद्यालय बाहर का कोई भी व्यक्ति या छात्र किसी के साथ भी बदसलूकी यह बदतमीजी कर सकता है और अपनी पहुंच बताकर किसी को भी डरा- धमका सकता है???
- जिस व्यक्ति ने कभी भी महाविद्यालय परिसर में दाखिला ही नहीं लिया वह कैसे हमारे परिसर में आकर इसे पार्क समझकर घूम सकता है और अपनी मनमानी कर सकता है??
- क्या इन छात्रों के साथ-साथ इन्हें संरक्षण दे रहे फिजूल और फर्जी छात्र नेताओं को भी महाविद्यालय परिसर द्वारा आने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए?? क्योंकि इन्हीं के बढ़ाएं-चढ़ाए जाने के कारण ही आज नशाखोरी की प्रवृत्ति और दादागिरी को ये अपना परम कर्तव्य मानते हैं।
जिस परिसर में हम विद्या अध्ययन करने के उद्देश्य से आते हैं । उस समूचे महाविद्यालय परिसर को इन लोगों ने गुटखा खाकर थूक-थूक कर गंध मचा रखी है, फिर भी महाविद्यालय परिसर को इन्होंने अपनी खैरात समझ हर छात्र पर अपनी धाक जमाना और शेखी बघारना ही सीखा है क्योंकि इनके आदर्श ही ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जड़ें छोड़कर महाविद्यालय की छवि को धूमिल किया है पूरे महाविद्यालय परिवार ने ऐसे लोगों की इन गतिविधियों की भर्त्सना की है और अगर इन्होंने अपनी आदतें नहीं सुधारी तो महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा इनका कान पकड़ इनके ऊपर न्याय उचित कार्यवाही करवाई जाएगी।
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