मनेंद्रगढ़:शहरी क्षेत्रों में अक्सर लोग आर्थिक लाभ के लिए अपने घरों को किराए पर देते हैं। लेकिन अक्सर यह देखने में आता है कि मकानों को किराए पर देने से पूर्व बहुत से मकान मालिक बिना किसी जानकारी या सत्यापन किये ही अपने घरों में किरायेदार रख लेते हैं। जिसका सीधा फायदा आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को मिलता है। वो आसानी से अपनी पहचान छुपा कर बड़ी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम या उसमें लिप्त होते हैं। जो बाद में आसानी से बच निकलते है।और मकान मालिक के गलतियों के कारण पुलिस को परेशान होना पड़ता है।
इसलिए जरूरी है पुलिस को सूचना देना
कानूनन मकान मालिक द्वारा स्थानीय थानों को किरायेदार की सूचना देना अनिवार्य है. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो पुलिस उनके खिलाफ एफआइआर तक दर्ज कर सकती है. यदि किरायेदार अपराध कर फरार हो जाता है, तो पुलिस मकान मालिक को मामले में आरोपित बना सकती है.
यदि वह ऐसा नहीं भी करती है, तब भी आपकी मुश्किलें बढ़ेंगी ही. वहीं, सरकार को शहर में रहनेवाले लोगों की सही जानकारी नहीं होने से जनहित की योजनाएं बनाने में परेशानी होती है. वह सभी लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाती. खास कर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि का उपयोग करनेवालों की जानकारी रखना जिला प्रशासन के लिए जरूरी है.
क्या है समस्या
जागरूकता की कमी
पहली समस्या लोगों में जागरूकता की कमी का होना है. ज्यादातर मकान मालिक किरायेदार के बारे में थानों को सूचना देना बेकार का काम समझते हैं. उन्हें लगता है कि पुलिस के पास जाकर नाहक परेशान होंगे.
- जानकारी का अभाव : कुछ मकान मालिक थाने में किरायेदारों की सूचना देना चाहते हैं, पर उन्हें पता नहीं कि किस माध्यम से सूचना दी जा सकती है.
आर्थिक क्षति की आशंका
मकान मालिकों को लगता है कि यदि वे किरायेदार की सूचना देते हैं, तो उनकी अतिरिक्त आय सार्वजनिक हो जायेगी. इससे उन्हें आर्थिकक्षति पहुंचेगी. और मकान मालिक को अधिक टैक्स देना होगा. इससे वह किरायेदार रखने की बात को छिपा लेते हैं.
नगर पालिका व पुलिस वाहन के माध्यम से पुलिस करवाती है अपील
थाना प्रभारी द्वारा समय समय नगर पालिका के वाहन व पुलिस वाहन के माध्यम से किरायेदारों की जानकारी व मुसाफिर दर्ज करने की अपील भी की जाती है।
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