यीशै दास जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट
हम आपको बता दें कि इन दिनों दिन ब दिन भुसा सहित पशुओं के दाने की बढ़ती मंहगाई के बोझ तले दबे मवेशी पालको के व्यवसाय में असर देखने को मिल रहा है। कारण की एक ओर भूसा का रेट लगभग 13 से 14 रू. प्रतिकिलो की दर से ब्रिक्री हो रही है।के पश्चात पशुओं के आहारों पर भी महंगाई की बाढ़ सी आ गई है आज की अगर पशुओं संबंधित आहारों पर नजर डालें तो – चोकर 1150 रु का 50 किलो मिल रहा है।जो फुटकर में 25 रु प्रतिकिलो की दर पर पशु पालको मुहैया कराया जा रहा है । वहीं चुनी,पशु आहार , सहित विभिन्न पशुओं की खाद्य सामग्री भी अपनी चरम सीमा पर है उक्त वजह से डेयरी संचालकों में चिंता की लकीर आसानी से देखने को मिल जायेगी इसके अतिरिक्त सुत्रो द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पशुओं को उक्त पदार्थ खिलाने योग्य भी नहीं होता कारण की उक्त समानों में रेत, कंकड़, कोड़हा , इत्यादि का भी प्रयोग कर ब्रिक्री किया जा रहा है जिसका सीधा असर पशुओं के सेहत पर पड़ सकता है जैसै -पशुओ में पतली दस्त,दुध का कम होना,चारा का कम खाना सहित निम्न प्रकार की समस्याएं भी आ सकती है।
वहीं एक ओर डेयरी फार्म संचालकों द्वारा उक्त मवेशी पालको को उनके पशुओं के दुध का उचित मूल्य भी नहीं दिया जा रहा ऐसा भी बताया जा राहा है । जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश सहित कोयलांचल क्षेत्रों से आये दिन पशु पालक सुबह से ही अपने पशुओं का दुध लेकर डेयरी फार्म को आते आसानी से देखे जा सकते हैं। लेकिन उक्त पशु पालको को उनकी मेहनत अनुरुप उचित मूल्य नहीं मिल पाता अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आज कि यह महंगाई में बेरोजगार तथा मध्यम वर्गीय पशु पालक अपने पशुओं का पालन पोषण करे या फिर अपने परिवार का जिनका सिर्फ मात्र एक ही साधन है पशुपालन ……
स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मवेशी पालकों की ओर विशेष ध्यान दें पशु चारा तथा भुसा की महंगाई के बोझ तले दबे ऐसी पालकों के हित को ध्यान में रखते हुए एक उचित रेट का दिशानिर्देश जारी करते हुए उन्हें उसी दर पर उक्त समस्त खाद्य सामग्री को उपलब्ध कराने हेतु पहल किया जाना चाहिए जिससे उन्हें काफी हद तक राहत मिल सके …
यह समाचार का उद्देश्य किसी के व्यापार को ठेस पहुंचाना नहीं है ..
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