प्रधान संपादक की कलम से
पाठकों को बताना चाहेंगे कि इस देश के लोगों को बुरे लोगों से कोई तकलीफ़ नहीं होती कारण कि अच्छे लोगों के सामने उनकी नालेज / ज्ञान बहुत छोटी लगने लगती है।और उनके सामने वे पुरे नंगे हो जाते उक्त वजह से अच्छे लोग कतई रास नहीं आते वहीं अंधों की बस्ती में बिजली रहे या न रहे अंधों को कोई फर्क नहीं पड़ता उनको कोई तकलीफ़ नहीं होती लेकिन जब कोई आंख वाला अंधों की बस्ती में जाता है तभी समस्या खड़ी होती है। ठीक इसी तरह का हाल कुवारपुर वन परिक्षेत्र का है जहां शिव कुमार ध्रुव फारेस्ट आफिसर को पदस्थ हुए 8-10 माह ही हुए थे कि भ्रष्टाचारियों की दाल नहीं गली जो अपनी निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए शिव कुमार ध्रुव को हटा कर उसकी जगह किसी भ्रष्टाचारी को पदस्थ कराना चाहते हुए शासन को गुमराह कर विधिः विपरीत फारेस्ट आफिसर शिव कुमार ध्रुव का तबादला आदेश जारी करवा दिये थे ।जबकि वन सुत्रो के अनुसार किसी भी फारेस्ट आफिसर (रेंजर)को एक जगह पर 3 से 4 वर्ष तक रखें जाने का प्रावधान है।इसके बावजूद उक्त नियम की धज्जियां उड़ाते हुए मात्र 8-10 महिनें में तबादला कराना विभाग पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।कारण कि इस तरह विधिः विपरीत तबादला आदेश जारी करा दिया गया था जो कर्मचारी हित में न्यायोचित न होने के कारण से न्याय के लिए विवश हो कर शिव कुमार ध्रुव को उक्त विधी विपरीत तबादला आदेश के विरुद्ध मान. उच्च न्यायालय छ.ग स्टेट में याचिका दायर करना पड़ा जहां से मान . उच्च न्यायालय छ.ग स्टेट द्वारा उक्त तबादले पर रोक लगाये जाने स्टे आदेश दिनांक 1/8/23 को पारित कर दिया गया है।मान. उच्च न्यायालय छ.ग स्टेट द्वारा पारित आदेश के तहत् शिव कुमार ध्रुव कुवारपुर परिक्षेत्र में पदस्थ हैं।न कि शासन को ठेंगा दिखा जबरदस्ती ???लेकिन ओछी मानसिकता के लोगों का क्या कुछ भी टिप्पणी करने से बाज नहीं आते और गिने चुने तथाकथित दलाल प्रवृति के चाटुकारो को शिव कुमार ध्रुव का तबादला स्थगन रास नहीं आ रहा यूं कहें उनके पिछवाड़े में भारी जलन हो रही ऐसा प्रतीत हो रहा कि मानों बवासिर हो गया हो जो अपने आका को खुश करने बेबुनियाद तरह -तरह कि टिप्पणियां तंज कसते हुए फारेस्ट आफिसर शिव कुमार ध्रुव की छवि को धुमिल करने का प्रयास करते हुए उसे टारगेट कर बार-बार समाचार प्रकाशित कर सुर्ख़ियां बटोरने लगा कर कुत्ते की तरह दुम हिलाते हुए अपने आका द्वारा फेंकी गई हड्डी चबाते नजर आ रहे ऐसा बताया जा रहा है।जबकि उक्त तथाकथित चाटुकारों को यह नहीं मालूम कि फारेस्ट आफिसर शिव कुमार ध्रुव जो आदिवासी समुदाय का है।और इस तरह एक आदिवासी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए उनकी छवि को धुमिल करने बार -बार भ्रामक समाचार प्रकाशित कर शासन सहित लोगों को भ्रमित करने वालों के विरुद्ध शिव कुमार ध्रुव राष्ट्रीय एससी-एसटी कमीशन में शिकायत तो दर्ज करायेगे ही साथ ही मान . उच्च न्यायालय में मानहानि का दावा भी करेंगे ऐसा उन्होंने कहा है ।
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