अपने को तीरंदाज बताने वाले कई संगठन बने हुए हैं, लेकिन उक्त संगठनों के द्वारा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही इस कमरतोड़ महंगाई पर अंकुश लगाए जाने आवाज उठाने की हिम्मत तक नहीं दिखा रहे जबकि कोरोना काल से पेट्रोल-डीजल के अलावा खाद्य तेल सहित खाद सामग्री दाले आदि की कीमत दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है जो थमने का नाम ही नहीं ले रही जिससे निचले तबके से लेकर मिडिल परिवार का जीना मुश्किल हो गया है आम तौर पर देखा जाए तो एक गरीब मजदूर जिसकी मजदूरी प्रतिदिन करीब 200 रूपये हैं उसे यदि 100 ग्राम तेल की जरूरत पढ़ने पर उक्त बेचारे को मजबूरी वश ब्रांडेड कंपनी का 1 लीटर तेल का पैकेट पूरा लेना पड़ता है कारण कि खुले तेल बिक्री पर रोक जो लगा दी गई है| हम आपको बता दें कि इस बढ़ी हुई महंगाई को कम कराने की बड़ी-बड़ी बातें बोलने वाले डिंग मार बड़बोले नेताओं का पहले जगह-जगह हुजूम लगा करता था लेकिन अब तो एक भी नजर नहीं आ रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है कि वह सब के सब लापता हो गए केवल चुनाव के समय बरसाती मेंढक की तरह टर्टर- टर्टर करते हुए नजर आएंगे|
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