यीशै दास संभाग प्रतिनिधि (सरगुजा)की खास खबर
खटिया गिरदावरी से बचे गिरदावरी गण.
विगत दिवस कलेक्टर डी. राहुल वेंकट के निर्देश पर अपर कलेक्टर अनिल सिदार ने तहसीलदार शशि शेखर मिश्रा को जिला कार्यालय के सभा कक्ष में सभी विभाग के अधिकारियों को जिले में गिरदावरी निरीक्षण के दौरान किन-किन बातों को ध्यान रखना है उसके लिए विस्तार से जानकारी देने के लिए कहा।
श्री शेखर ने समस्त अधिकारियों को बताया कि राजस्व विभाग के निर्देश पर नियम समय सीमा अनुसार खरीफ और रबी मौसम में फसल क्षेत्राच्छादन की रिपोर्ट क्षेत्र में घूम-घूम कर फसल क्षेत्राच्छादन की पूर्ण एवं वास्तविक रिपोर्ट तैयार करने को ही सामान्यतः गिरदावरी कहते है। राजस्व अमलों को गिरदावरी में सघन दौरा और स्थल निरीक्षण के दौरान सिंचाई के साधन, भूमि का गैर-कृषि उपयोग एवं अन्य उपयोग का उल्लेख करते हुये अभिलेखों की शुद्धता पर विशेष ध्यान देने कहा। गिरदावरी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि राज्य शासन धान खरीदी, बीमा, आपदा प्रबंधन के तहत सहायता, आयात और निर्यात जैसे नीतिगत फैसले तथा भू-राजस्व माफी जैसे मामलों पर कार्यवाही कर सकें। गिरदावरी में खसरा, खेत के विरद्ध उस पर लगे फसल, उद्यानिकी फसल और खड़ी अन्य संरचनाओं की प्रविष्ठि की जानी होती है। यह कार्य हल्का पटवारी के द्वारा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण बागवानी विस्तार अधिकारी एवं सचिव के साथ किया जाता है। किसी भी ग्राम कब और किसके द्वारा गिरदावरी की जानी है इसकी पूर्व सूचना लिखित में ग्राम पंचायतों तथा नोटिस बोर्ड में चस्पा कराते हुए ग्राम कोटवार से मुनादी अवश्य कराये जाने के निर्देश है। गिरदावरी के दौरान हल्का पटवारी के द्वारा अभिलेख शुद्धता के बटांकन, आदेश उपरांत अभिलेख दुरुस्ती, संकलन-विलोपन, वन पट्टा की कॉपी लेना, आधार नम्बर, किसान किताब का नम्बर तथा मोबाईल नम्बर का संग्रहण करना अनिवार्य है। गिरदावरी के पश्चात पंचनामा बनाना कि हल्का पटवारी के द्वारा किन-किन अधिकारियों के साथ मिलकर खेत में जाकर, उपस्थित किसानों के समक्ष गिरदावरी कर फसल का नाम एवं रकबा खसरा में लिखा है। पंचनामा की एक प्रति पंचायत में तथा एक प्रति तहसील कार्यालय में जमा करना होगा।
इस बार जिले में दावा-आपत्ति वास्तविक रूप से प्राप्त करने के लिए कलेक्टर के निर्देश पर ग्राम वार ग्राम सभा का आयोजन किया जाना है। जिसमें हल्का पटवारी एवं अन्य अन्य अधिकारी स्वयं उपस्थित रहकर फसल क्षेत्राच्छादन का वाचन करेंगे और मौके पर ही निराकरण भी करंेगे। गिरदावरी के समय कृषक द्वारा धारित रकबे पर यदि धान के बदले अन्य फसल ली गई हो तो फसल का खसरावार फोटाग्राफ हल्का पटवारी द्वारा मोबाईल में अनिवार्यतः लिया जाये। खेत में स्थित घर, तालाब, वृक्षारोपण, गैर-धान फसल और पड़ती का रकबा ठीक-ठीक लिखा जाये।
राज्य शासन के तीन विभाग ट्राइबल, राजस्व तथा वन विभाग के सचिवों के द्वारा जारी निर्देश अनुसार वन भूमियों के लिए तहसीलदार एवं रेंज ऑफिसर को वन अधिकार मान्यता पत्र के लिए नामांतरण, बंटवारा एवं सीमांकन की प्रक्रिया विहित की गई है। गिरदावरी के दौरान दर्ज प्रविष्टि का 10 प्रतिशत रैंडम सत्यापन राजस्व निरीक्षक, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी तथा नायब तहसील, तहसीलदार के द्वारा किया जाना है। इसकी जानकारी भी जिला कार्यालय जमा जाना है। एसडीएम के द्वारा 5 प्रतिशत तथा कलेक्टर एवं अपर कलेक्टर के द्वारा 1 प्रतिशत रैंडम सत्यापन किया जाना है। गिरदावरी कार्य का राज्य स्तर के अधिकारियों के द्वारा औचक निरीक्षण किया जायेगा। निरीक्षण के दौरान फसल का दर्ज रकबा एवं वास्तविक रकबा में भिन्नता पाये जाने पर (गिरदावरी गण) हल्का पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण बागवानी विस्तार अधिकारी, सचित एवं पर्यवेक्षण अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश है।
खटिया गिरदावरी – दरअसल खटिया गिरदावरी विभागीय प्रचलन का शब्द है। इसका मतलब गांव में किसी एक जगह बैठकर रिपोर्ट तैयार करना है।
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