पाठकों को बताना चाहेंगे कि अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग के कई संगठनों ने 14 अप्रेल 2023 को पृथक -पृथक रैली निकाल कर जय भीम,और बाबा साहब अमर रहे का नारा लगाते हुए संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की 132 वीं जयंती मनाई जिससे पुरा मनेन्द्रगढ जिला जय भीम और बाबा साहब अमर रहे के नारों से गूंज उठा उक्त रैली में सविप्रा विधायक सहित मनेन्द्रगढ जिला के जाने माने प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल थे। लेकिन उक्त रैली को देखकर कुछ ऐसी भी चर्चाएं हो रही थी कि अगर वास्तव में उक्त सभी संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ .भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी याने उसके पद चिन्हों पर चलने वाले हैं तो उक्त संगठनों के लोग बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की तरह 22 प्रतिज्ञाएं क्यों नहीं लेते जैसे -बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को 22 प्रतिज्ञाएं लेकर पाखंड वाद को लात मार पाखंड से बाहर निकल आये थे । ठीक वैसे ही उक्त संगठनों को भी करना चाहिए लेकिन उक्त संगठनों में से किसी ने भी 22 प्रतिज्ञाए नहीं ली तो कैसे माने कि उक्त संगठनों के सभी लोग बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी है। क्या उनमें बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जैसी हिम्मत और साहस नहीं है। क्या उक्त समाज इतना कमजोर है।जबकि हर स्तर पर बाबा साहब की वजह से मजबूत हो चुका है। बाबा साहब इतने महान थे कि एससी ,एसटी,ओबीसी के लिए अपने पुत्र राजरत्न की लाश को छोड़ कर गोलमेज सम्मेलन के लिए लंदन चले गये थे।जिस बारे में विद्वान बताते है कि जिस दिन बाबा साहेब को लंदन जाना था उसी दिन उनके पुत्र राजरत्न की मृत्यु हो गई थी। लेकिन वे अपने पुत्र की लाश को छोड़कर लंदन जा रहे थे।उक्त दौरान उनका बड़ा भाई दौड़ कर आया और बोला कि भीम तु कहा जा रहा है।जिस पर बाबा साहब ने कहां अगर आज मैं लंदन नहीं पहुंचा तो करोड़ों दलित पिछड़ो के अधिकार की हत्या गांधी और कंपनी कर देंगे मैं एक बेटे के लिए अपने करोड़ों बेटों को कुर्बान नहीं कर सकता।ऐसी उत्तम विचार वाले पुजनीय थे हमारे बाबा साहब इतना ही नहीं आंख बंद करने से पहले बाबा साहेब ने हमें 135 देशों का मेंबर बना कर चले गए जिसके लिए किसी का खून नहीं बहा ,गोली नहीं चली,आज हमारे साथ 135 देश खड़े हैं। तो डर किस बात कि लेकिन एससी, एसटी,ओबीसी समाज के लोग आज भी पाखंडी ,पिंठठू बाबाओ और तमाम माताओं के चौखट पर खड़े खाक छानते रहते हैं जहां से कुछ भी मिलता नहीं केवल दिखावा मात्र के लिए बाबा साहब के अनुयायी बनने का ढोंग दिखाते रहते हैं अगर वास्तव में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के प्रखर अनुयायी बनना चाहते हैं तो बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर की तरह सबसे पहले 22 प्रतिक्षा लेने कि तैयारी करते हुए पाखंड से निकलने समाज को जागरूक करें या फिर इसी तरह रैली निकाल ढोंग दिखाते अपनी वाहवाही लूटाते रहे ।
हम तो बाबा साहब के प्रखर अनुयायी है।जब तक सांस रहेगी इसी तरह समाचार के माध्यम से एससी , एसटी, ओबीसी समाज को जगाने का प्रयास करते रहेंगे।
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