हम आपको बता दें कि अपनी जान को जोखिम में डाल रात दिन मेहनत कर रहे समस्त पत्रकार बंधुओं को अवगत कराना चाहेंगे कि कई तरह के संगठन होते हैं जिनका कोई ना कोई उद्देश होता है की उक्त संगठन किस उद्देश्य के लिए बनाया गया है और उक्त संगठन का अध्यक्ष कैसा होना चाहिए यह भी एक अहम बात है कारण कि संगठन का अध्यक्ष जहां तक मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए अपराधिक प्रवृत्ति का नहीं होना चाहिए एक बेदाग छवि वाला होना चाहिए जो संगठन के सदस्यों के सुख-दुख मैं हर संभव साथ देने वाला होना चाहिए साथ ही सरकार की गलत नीतियों के चलते पीड़ित हो रहे आम जनों की आवाज बनकर तीखा प्रहार करते हुए उक्त पीड़ितों की समस्या के निदान हेतु उनकी समस्या सरकार तक पहुंचाने वाला होना चाहिए वही ऊंच-नीच जाति भेदभाव करने वाला नहीं होना चाहिए लेकिन गौर करने वाली बात है कि मनेंद्रगढ़ में एक अलग तरीके का पत्रकार संगठन बनाया गया है बताया जा रहा है कि उक्त संगठन का कथिक अध्यक्ष जो नियम को ताक में रखकर संगठन का संचालन कर रहा है उक्त कथित अध्यक्ष के क्रियाकलापों से खफा होकर उक्त ग्रुप के 62 पत्रकारों में से कुछ पत्रकारों ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर कथिक अध्यक्ष द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का भांडा फोड़ते हुए बताया कि एक पत्रकार के पुत्र की तबीयत बहुत खराब हो गई थी उसके इलाज के लिए पीड़ित पत्रकार को आर्थिक सहयोग की जरूरत थी जिस विषय में चर्चा करते हुए उक्त पीड़ित पत्रकार ने अपनी समस्या संगठन के कथित अध्यक्ष को बताया तो संगठन के कथित अध्यक्ष ने पांच पांच ,दस दस रुपए जुटाकर मात्र ₹2000 पीड़ित पत्रकार को देकर अपना पल्ला झाड़ लिया जबकि पीड़ित पत्रकार को पुत्र के इलाज के लिए करीब ₹50000 की सख्त जरूरत थी वही एक दरिया दिल बिल्डर ने ₹5000 नगद सहयोग राशि पीड़ित पत्रकार को देकर इंसानियत का परिचय दिया इसके अतिरिक्त यह भी बताया कि संगठन का कथित अध्यक्ष 62 पत्रकारों की झलक दिखा मनेंद्रगढ़ शहर के प्रतिष्ठित पूंजीपतियों के अलावा शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को झांसा देकर किसी ना किसी कार्यक्रम कराने के नाम पर अच्छी खासी मोटी रकम ऐठते हुए लाखों रुपए बटोरते जा रहा है और उक्त राशि का लेखा-जोखा संगठन में जुड़े पत्रकारों को नहीं दे रहा जबकि संगठन के बायलाज अनुसार संगठन की रसीद छपवा कर रसीद के माध्यम से अनुदान राशि प्राप्त करना चाहिए और उक्त प्राप्त किए गए अनुदान राशि मे से खर्च किए गए राशि का विवरण संगठन से जुड़े सभी पत्रकारों को बता कर रजिस्टर मेंटेन करना चाहिए और शेष बची राशि को संगठन के नाम पर खोले गए बैंक खाते में जमा करना चाहिए किंतु नियम को ताक में रखकर कथित अध्यक्ष भकाभाक धकाधक सारा माल 2 से 4 पत्रकार को मिलाकर अंदर कर रहा है कारण की कथित अध्यक्ष अपने को मदारी और बाकी को बंदर समझ कर अपने इशारे पर नचाते आ रहा इस तरह की घटिया नीति को उक्त संगठन से जुड़े बुद्धिजीवी वरिष्ठ पत्रकार समझ रहे लेकिन शायद डर वश अपनी आवाज नही उठा पा रहे लेकिन ऐसी भी चर्चा हो रही है कि संगठन से जुड़े पत्रकारों में से कुछ बाहर होने वाले है। जिसका जीता जागता उदाहरण एक थाने में देखा गया है ऐसे कथित अध्यक्ष से अन्य पत्रकारों को सावधान रहने की आवश्यकता है अन्यथा वह अपनी निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए किसी से भी अनावश्यक विवाद करा सकता है।
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