
प्रधान संपादक की कलम से
हम आपको बता दें कि इन दिनों पत्रकारिता के क्षेत्र में चल रही गुटबाजी जिसमें पेपर बेच जलेबी खाने वाले जैसे कुछ छिछोरे भी हैं जो गिने-चुने मात्र 6-7 लोगों को ही इस क्षेत्र का सबसे बड़ा पत्रकार बताने में कोई कोर कसर न छोड़ते हुए जगह जगह डिंग मारते अपनी घटिया हरकतों से बाज नहीं आ रहे और तो और अपनी बंदर मेडक लोमड़ी उल्लू जैसे शक्ल लिए नेताओं संग फोटो खींचा न जाने क्या साबित करना है चाहते हैं जबकि देश के चौथे स्तंभ का मुख्य उद्देश्य होता है भ्रष्ट नेताओं से सवाल जवाब कर उनकी धोती फाड़ भ्रष्टाचार उजागर करना न कि उनके साथ फोटो खींचा चाटुकारिता करना इस तरह उक्त छिछोरों को पब्लिक कह रही है अगर उक्त छिछोरे किसी सरफिरे अधिकारी के चक्कर में कहीं फस जाएं और उक्त अधिकारी उनसे पूछ बैठे की पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के बाद उक्त छिछोरों ने किन किन विभागों के कितने कितने भ्रष्टाचार उजागर किए साथ ही जनहित के कितने मुद्दे समाचार के माध्यम से उठाएं तो उक्त छिछोरों की…….. तो फटेगी ही और उनकी पतलून भी गीली हो जाएगी तभी उनकी औकात का पता चलेगा जो अपने को हाथी और दूसरों को चींटी समझ रहे हैं लेकिन उक्त बेअकलो को शायद मालूम ही नहीं की चींटी अक्सर हाथी पर भारी ही पड़ती है जिनसे बचने….. मे हाथी भी अपनी सुड से फूंक मारते हुए चलता है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल इसलिए करना पड़ रहा है की देश के चौथे स्तंभ की गरिमा को वे समझ ही नहीं पा रहे और आज उक्त चाटू कारों के चलते ही कई बेरोजगार पत्रकार बंधुओं को विज्ञापन हेतु कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है कारण की आज के नेता मंत्री प्रतिमाह करीब एक से डेढ़ लाख रुपया वेतन पाने के अलावा ठेकेदारों से कमीशन खोरी करने वालों का उक्त राशि से पेट नहीं भर रहा जो वन विभाग से लेकर पीएचई, पीडब्ल्यूडी, राजस्व विभाग, सहित कई थानों को भी अपनी गिरफ्त में लेकर स्थानांतरण कराने का डर बता उनसे भी महीना बांध चुके हैं जिस संबंध में राजस्व सहित अन्य विभागों के कुछ अधिकारियों ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर इस तरह की जानकारी देकर बताया कि आज उक्त वजह से ही अधिकारियों को मजबूरी बस भ्रष्टाचार कर प्रतिमाह उक्त तथाकथित नेताओं को प्रतिमाह एक से दो लाख रुपया तक चढ़ावा करना पड़ता है जो हाथ में स्थानांतरण का हथोड़ा लिए उनके सर पर मधुमक्खी की तरह मंडराते रहते हैं अरे भाई उक्त नेताओं से बचें तो पत्रकार बंधुओं की सोचे इस तरह उक्त तथाकथित नेता बेरोजगार पत्रकारों के पेट पर मार रहे लात जिस समस्या से निपटने के बजाय अपने को सबसे बड़ा पत्रकार बता डिंग मार तथाकथित नेताओं संग अपनी फोटो खींचा वाहवाही लुटाने से बाज नहीं आ रहे छिछोरे 5 वर्ष की सत्ता खत्म होने के बाद उक्त बेअकलो मे शायद अक्ल आ जाए खुदा जाने
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