हम आपको बता दें कि आज के दौर में देश प्रदेश के हालत इतने बिगड़े हुए हैं कि रोजगार के लाले पड़े है। ऐसे में पढ़ा लिखा युवा वर्ग जो रोजगार पाने के लिए भुखे प्यासे यहां वहां भटकते नजर आते हैं और जब उन्हें कोई रोजगार नहीं मिलता तो क्या करें बेचारे अंत में थक हार कर पत्रकारिता को ही अपना रोजगार बना पत्रकारिता जगत में आते जा रहे हैं।जबकि पत्रकारिता का उन्हें कोई शौक नहीं जिन्हें देख कुछ पत्रकार बंधुओं के पेट में दर्द हो रहा जो टुकड़े टुकड़े में संघ बना अपने को सर्वश्रेष्ठ बता चाटुकारिता का परिचय देने से बाज नहीं आ रहे जबकि उन्हें कदम से कदम मिलाते हुए छोटे -बडे सभी को साथ लेकर चलने के बजाय अधिकारियों से चुगली चपाटी चापलूसी कर अपनी ताकत को कमजोर कर रहे ऐसा लगता है कि उनकी बुद्धि घास चरने गई है।अरे भाई अधिकारी के ऊपर डिपेंड करता है कि वह किस पत्रकार को विज्ञापन में कैसे मैनेज कर रहा है। लेकिन यहां तो कुछ ऐसे संघ के सदस्य है जिनमें कुछ के 56 छेद है जो पत्रकारिता को अपने बाप की जागीर समझ बैठे हैं उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित रहना चाहिए । लेकिन वे तो ऐसा कर रहे जैसे गाय बछड़े को जन्म दे रही और बैल का………. फट रहा क्या करें मजबूर कर रखा है ओछी मानसिकता वालों की हरकतों ने ऐसे शब्दों का उचचारण करनें उक्त वजह से ऐसे लेख किये जाते हैं उनकी अक्ल ठिकाने लगाने ताकि वह चुंगलखोरी चाटुकारिता करने से बाज आए
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